मंगलवार 23 दिसंबर 2025 - 12:02
सह़ीफ़ा ए सज्जादिया हमारे बीच मज़लूम और महजूर है। आयतुल्लाह मरवी

हौज़ा / हौज़ा ए इल्मिया ईरान की सुप्रीम काउंसिल के उप-सचिव आयतुल्लाह जवाद मरवी ने सोमवार, पहली रजब 1447 हिजरी को दरस-ए-ख़ारिज फ़िक़्ह की क्लास में माहे रजब की अज़मत और उसके रूहानी असरात पर बातचीत करते हुए कहा कि इस मुबारक महीने को अहले बैत (अ.स.) की दुआओं से गहरी शिनाख़्त का आग़ाज़ बनाया जाना चाहिए, क्योंकि सह़ीफ़ा-ए-सज्जादिया हमारे दरमियान मज़लूम और महजूर बन कर रह गई है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , आयतुल्लाह जवाद मरवी ने कहा कि माहे रजब एक अज़ीम महीना है जो इंसान की अमली ज़िंदगी में हक़ीक़ी तब्दीली का कारण बन सकता है। उनके अनुसार, यह महीना न सिर्फ़ अपनी ज़ात में अहम है बल्कि क़ुर्ब-ए-इलाही तक पहुंचने का ज़रिया भी है। उन्होंने एक हदीस-ए-क़ुद्दसी का हवाला देते हुए कहा कि अल्लाह तआला ने इस महीने को अपने और बंदों के दरमियान राब्ते का ज़रिया क़रार दिया है।

उन्होंने अपनी बात की शुरुआत हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ) की विलादत-ए-बासआदत की मुबारकबाद पेश करते हुए की और कहा कि माह-ए-रजब की अज़मत को अकाबिर उलेमा ने हमेशा उजागर किया है। उन्होंने बुज़ुर्ग उलेमा की वसीयतों का ज़िक्र करते हुए कहा कि वे इस महीने के इस्तिक़बाल और उसकी अहमियत पर ख़ास ज़ोर देते थे, जो इसकी ग़ैर मामूली अहमियत को बयान करता है।

आयतुल्लाह मरवी ने तलब-ए-इल्म के इब्तिदाई अय्याम का हवाला देते हुए कहा कि शुरू में तालिब-ए-इल्म में इख़्लास, सादगी और मानवीयत ज़्यादा होती है, लेकिन वक़्त के साथ-साथ ये सिफ़ात कमज़ोर पड़ जाती हैं। उन्होंने एक मासूम (अ) के फ़रमान का हवाला देते हुए कहा कि हिर्स और लंबी आरज़ुएँ इंसानी मुश्किलात की जड़ हैं।

उन्होंने तहज्जुद की अहमियत पर ज़ोर देते हुए कहा कि माह-ए-रजब में इंसान को अपनी बातिनी कैफ़ियत को बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए। इस सिलसिले में उन्होंने अल्लामा तबातबाई (रह.) का वाक़ेआ बयान किया कि वे वक़्त की ग़फ़लत पर रोते थे, ताकि इंसान अपने हाल पर ग़ौर करे।

गुफ़्तगू के दूसरे हिस्से में आयतुल्लाह मरवी ने सह़ीफ़ा-ए-सज्जादिया की तरफ़ तवज्जो दिलाते हुए कहा कि यह अज़ीम दुआओं का मजमूआ हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बनना चाहिए। उन्होंने मरहूम आगा गुलपायगानी का वाक़ेआ बयान किया, जिन्होंने सख़्त बीमारी की हालत में भी सह़ीफ़ा-ए-सज्जादिया से दिली सुकून हासिल किया।

आख़िर में आयतुल्लाह मरवी ने दुआ की कि अल्लाह तआला हम सब को माहे रजब की बरकतों से भरपूर फ़ायदा उठाने और एक-दूसरे के लिए दुआ करने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए।

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha